Editorial: एक दौर थे डॉ. मनमोहन सिंह, जमाना उन्हें याद रखेगा...
- By Habib --
- Friday, 27 Dec, 2024
There was a time whThere was a time when Dr Manmohan Singhen Dr. Manmohan Singh was there, the world
There was a time when Dr. Manmohan Singh was there, the world will remember him...भारत में साल 1991 का यह वह दौर था, जब देश का भविष्य डांवाडोल था और उसे उभारने के लिए एक ऐसे व्यक्ति की आवश्यकता थी, जोकि बीमार अर्थव्यवस्था की नब्ज समझ कर ऐसी दवा दे सके जोकि उसके लिए संजीवनी का काम करे। और देश का यह सौभाग्य था कि डॉ. मनमोहन सिंह के रूप में वह डॉक्टर मिल गया। ये वही थे, जिन्होंने देश में आर्थिक उदारीकरण की वह नींव डाली जिसके ऊपर आज का तीव्र गति से विकसित हो रहा भारत इठला रहा है।
पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को एक्सीडेंटल पीएम कहा गया, लेकिन यह राजनीतिक आलोचना उनके जाने के बाद उन लोगों का ही उपहास उड़ा रही है, जिन्होंने उनके संबंध में यह बात कही थी। अगर उन्हें यह पद हासिल नहीं हुआ होता तो संभव है, आज के भारत की तस्वीर कुछ और ही होती। यह भी संभव है कि आज हम विकास के जिस पायदान की बात कर रहे हैं, वह हमसे मिलों पीछे होता, क्योंकि विकास की प्रवृति ऐसी ही है, आज अगर उसके बारे में कोई सोचता है तो संभव है अगले पांच या दस साल बाद उसके सकारात्मक परिणाम सामने आएं। तो डॉ. मनमोहन सिंह ने बतौर वित्त मंत्री और बाद में प्रधानमंत्री के रूप में जो भी निर्णय लिए, वे आज देश के विकास का आधार बन रहे हैं। डॉ. मनमोहन सिंह के देहांत से देश ने एक अमूल्य व्यक्तित्व को खो दिया है, उनके निधन पर कौन संतप्त नहीं होगा और किसके दिल से वह आह नहीं निकली होगी, जोकि किसी अपने के जाने के बाद पैदा होती है। वे पूरे देश के थे और आज देश उनके निधन पर शोक में है।
डॉ. मनमोहन सिंह बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे और शिक्षा, नौकरशाह, राजनीति और फिर सरकार के मुखिया के रूप में उनकी प्रतिभा का लोहा देश और दुनिया के दिग्गजों ने माना। यह भी कितना विशिष्ट है कि इतने लंबे सार्वजनिक जीवन में कभी भी उनके करियर और व्यक्तित्व पर दाग नहीं लग पाया। वे राजनीति की काजल की कोठरी में रहकर भी बेदाग रहे। वे दिल से कांग्रेसी थे, लेकिन इसके बावजूद वे एक पार्टी की विचारधारा के अनुगामी नहीं थे। वे धर्मनिरपेक्ष थे और सामाजिक चेतना के ब्रांड एम्बेस्डर भी थे। वे देश के निम्न से उच्च वर्ग तक की परवाह करने वाले अर्थविज्ञानी थे।
जाहिर है, आर्थिक उदारीकरण से पहले भारत में जो इंस्पेक्टरी राज था, उसने किस प्रकार बेरोजगारी और महंगाई का कुचक्र चलाया हुआ था। अगर उस समय उदार आर्थिक नीतियों को लागू नहीं किया गया होता तो न सामाजिक उत्थान संभव था और न ही आर्थिकता बढ़नी थी। एक अर्थशास्त्री के रूप में उन्होंने जो अध्ययन किया, उन नीतियों को अमल में लाने के लिए अपना जीवन लगा दिया। वहीं एक नौकरशाह के रूप में जो उचित था, उसी का निर्वाह किया और देश को नई ऊंचाइयों तक लेकर गए। उन्होंने भारतीय विदेश नीति को भी तरासा। वित्त मंत्री के रूप में अपने पहले भाषण में उन्होंने विक्टर ह्यूगो का हवाला देते हुए कहा कि इस दुनिया में कोई ताकत उस विचार को नहीं रोक सकती जिसका समय आ गया है।
निश्चित रूप से यह उस विचार का प्रतिपादन था, जिसमें उन्होंने इंगित किया था कि अब भारत के सूर्य को चमकने से कोई नहीं रोक सकता। बतौर वित्त मंत्री उन्होंने देश के सामने उदारीकरण का वह रोड मैप सामने रखा, जिसने देश की तकदीर को पलट दिया। दरअसल, यह भाषण उनके महत्वाकांक्षी और अभूतपूर्व आर्थिक सुधार कार्यक्रम की शुरुआत भर था। उन्होंने टैक्स में कटौती की, रुपये का अवमूल्यन किया, सरकारी कंपनियों का निजीकरण किया और विदेशी निवेश को बढ़ावा दिया। देश को और क्या चाहिए था। इस कार्य से नौकरियों की संख्या बढ़ी, अर्थव्यवस्था में सुधार होने लगा, उद्योग तेजी से बढ़े, महंगाई पर काबू पाया गया और 1990 के दशक में विकास दर लगातार ऊंची बनी रही।
भारतीय राजनीति में यह विडम्बना है कि यहां पर एक बौद्धिक को वह सफलता हासिल नहीं होती जोकि एक बेहद सामान्य व्यक्ति को भी हासिल हो जाती है। डॉ. मनमोहन ने कहा था राजनेता बनना अच्छी बात है, लेकिन लोकतंत्र में राजनेता बनने के लिए आपको पहले चुनाव जीतना पड़ता है। जाहिर है, इसके बावजूद वे राजनेताओं के राजनेता बने। बेशक, अपने राजनीतिक जीवन में उन्होंने ऐसे अवसर भी देखे जोकि एक स्वाभिमानी के स्वाभिमान पर आघात थे, लेकिन वे अपनी पार्टी और गांधी परिवार के प्रति वफादारी का मोह नहीं त्याग सके। वे सरल जीवन जीते हुए उच्च आदर्शों और सोच का ऐसा उदाहरण पेश कर गए, जोकि भारत के इतिहास में सदैव स्मरणीय रहेगा। वे विनम्रता के पर्याय कहलाएंगे और इस बात को भी याद दिलाते रहेंगे कि भारत माता की झोली ऐसे लालों से कभी रिक्त नहीं होगी, वे एक दौर का नाम थे, जिन्हें जमाना याद रखेगा।
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